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मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी , अपने में ख


मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी ,
अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी ,
पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहां ,
मै बावरी सी फिरती हूं, समेटे मुट्ठी में,
 तेरी कहीं बातों की निशानियां ।।
कभी जो मिलने आए तो ,
मै मिल जाऊंगी चांद तले ,
तेरे ख्यालों में लिपटी हुई
या बादलों  के पर्दों से झांक कर,
चुपके से देखती हुई तेरी नादानियां ।।
मुझे पाओगे तुम अनायास,
छलकती हंसी के झरनों में ,
तेरी अठखेलियों पे खिलखिलाती हुई,
मै मिलूंगी गुम  तेरी यादों के दामन में ।।
मुझे ढूंढ़ना ना तुम ,हकीकत की जमीन पे ,
मैं  वो कहानी हूं जो तुम सुनते हो ख्वाबों में ,
या बुना करते हो रेशा रेशा ख्वाहिशों से ।।
बंद पलकों के पीछे मेरा बसेरा है जहां,
मै ठहरी इंतेज़ार कर रही हूं तुम्हारा ,
सोचती हुई की तुम आओगे एक दिन,
तुम आओगे ना ? ~सुगंध
 Full poetry in caption
मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी ,
अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी 

पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहां ,
मै बावरी सी फिरती हूं, समेटे मुट्ठी में,
 तेरी कहीं बातों की निशानियां ।

मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी ,
अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी ,
पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहां ,
मै बावरी सी फिरती हूं, समेटे मुट्ठी में,
 तेरी कहीं बातों की निशानियां ।।
कभी जो मिलने आए तो ,
मै मिल जाऊंगी चांद तले ,
तेरे ख्यालों में लिपटी हुई
या बादलों  के पर्दों से झांक कर,
चुपके से देखती हुई तेरी नादानियां ।।
मुझे पाओगे तुम अनायास,
छलकती हंसी के झरनों में ,
तेरी अठखेलियों पे खिलखिलाती हुई,
मै मिलूंगी गुम  तेरी यादों के दामन में ।।
मुझे ढूंढ़ना ना तुम ,हकीकत की जमीन पे ,
मैं  वो कहानी हूं जो तुम सुनते हो ख्वाबों में ,
या बुना करते हो रेशा रेशा ख्वाहिशों से ।।
बंद पलकों के पीछे मेरा बसेरा है जहां,
मै ठहरी इंतेज़ार कर रही हूं तुम्हारा ,
सोचती हुई की तुम आओगे एक दिन,
तुम आओगे ना ? ~सुगंध
 Full poetry in caption
मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी ,
अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी 

पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहां ,
मै बावरी सी फिरती हूं, समेटे मुट्ठी में,
 तेरी कहीं बातों की निशानियां ।

Full poetry in caption मैं रहती हूं आज कल ,कुछ उलझी उलझी सी , अपने में खोई कुछ गुमसुम चुप चुप सी पानी पे तैरती परछाई सी , कभी यहां कभी वहां , मै बावरी सी फिरती हूं, समेटे मुट्ठी में, तेरी कहीं बातों की निशानियां । #Dreams #wait #waitingforyou