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मेरा वो तथाकथित प्रेम रात भर के शीत युद्ध के ब

मेरा वो तथाकथित प्रेम
रात भर  के  शीत  युद्ध  के बाद भी

सुबह  तक  दबा रहा  उस तकिये के
नीचे जिसे आंसुओ ने पूरा भिगो दिया था
और मज़े की बात ये रही कि अब
मेरा प्रेम  पहले से ज्यादा  जीवंत
और चुस्त  दिख रहा  था

©Parasram Arora
  भीगा तकिया

भीगा तकिया #कविता

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