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अनकही रात की खामोशियां भी बयां कर रही है अनकही ब

अनकही 

रात की खामोशियां भी बयां कर रही है अनकही बातें
चमन-ए-बहार हुआ करती थी संग तुम्हारे प्यार की रातें 
जो छोड़ गए तुम चंद अल्फाज़ ढ़ुढ़ रही नजरें फिजाओं में बिखरे अफसानें
तरसती है शबनमी स्पर्श को ये फैली उदास चाँद की रातें


अम्बिका मल्लिक ✍️

©Ambika Mallik
  #अनकही_बातें