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"अनुपम" कुछ कहे तो ख़ामोश हो जातें हैं, उ

"अनुपम" कुछ कहे तो 
        ख़ामोश हो जातें हैं,
उससे पहले ग्रुप में 
भरपूर उपदेश दे जाते हैं!
लड्डू बंटते ही खाने 
श्रीगणेश आ जाते हैं ,
जहर पीना हो तो‌ देखिए
 महेश सो जाते हैं।
ऐसे ही हैं कुछ देवाधिदेव
 हमारे समाज मे,
जो सदा रूकावट बन जाते हैं
 अच्छे काज में।
इनकी कथनी और करनी में 
है बड़ा अन्तर,
कहते हैं मेरे पास इस
 सवाल का है मन्तर।
इनकी फितरत में है 
बस कामों को उलझाना,
इधर-उधर लगा कर केवल 
गाते रहते हैं गाना।
चिकनी-चुपड़ी बातों से 
अपने को चमकाते है,
मौका पड़ने पर बन्धु 
चुपके से निकल जाते हैं।
कुछ ऐसे ही जयचंद
 समाज में है पड़े हुए,
जो बिना विचारों के 
अपनों में है खड़े हुए।
ऐसे मीन-मेख निकालने
 वालों से बचना होगा,
"अनुपम" समाज से 
इनको दूर रखना होगा।

©"ANUPAM"
  #अनुपम_की_कविता