ओ "विक्रम" चाँद से कहना जा के मेरा संदेशा पहुँचाए उसके शहर में 'उसे' भी मेरा हाल सुनाए कैसे काटी विरह की रातें मैंने कैसे तन्हा दिन ये बिताए उसके बिना सब फीका-फीका ये मदमाता सावन और चाँद की चाँदनी भी न सुहाए ©K.Shikha #pyar_ka_sandesha