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कुछ ने साथ निभाया मेरा, कुछ ने की मनमानी थी, कुछ थ

कुछ ने साथ निभाया मेरा, कुछ ने की मनमानी थी,
कुछ थी जिद पे अड़ी हुई,कुछ की बातें बेमानी थी।
अभी  कहां  तू थका हुआ है,चहक  एक  रेखा बोली,
पांव चल पड़े खुद बा खुद ही,अभी कहानी बाकी थी।

©Manish ghazipuri रेखाएं
कुछ ने साथ निभाया मेरा, कुछ ने की मनमानी थी,
कुछ थी जिद पे अड़ी हुई,कुछ की बातें बेमानी थी।
अभी  कहां  तू थका हुआ है,चहक  एक  रेखा बोली,
पांव चल पड़े खुद बा खुद ही,अभी कहानी बाकी थी।

©Manish ghazipuri रेखाएं