Jai shree ram मैं राम पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं अब तक किसी सहारे के पैरों पे खड़ा हूं इंसान को पढ़ने में ही लगेगा अभी वक्त मैं भगवान पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं उम्र की ब्यार के शीतल पवन में हूं चरणों में पड़ा हूं और प्रभु के नयन में हूं दुनियादारी के इस दौड़ में अब तक न पड़ा हूं मैं राम पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं आदमी से मैं इंसान हां बनने को चला हूं अंदर भी मैं यूं मानव भरने को चला हूं इंसान हूं इंसानियत को सीख रहा हूं मैं राम पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं जिस नाम ने इस जग को हां सुंदर बना दिया वह राम जिसे दुनिया को जीना सिखा दिया अपने राम के संघर्षों से मैं बहुत दूर खड़ा हूं मैं राम पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं मैं राम के संघर्षों की गाथा सुना रहा मैं राम भक्त हां हूं अपने राम गा रहा गुण के समंदरो के हां कुछ बूंद पढ़ा हूं मैं राम पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं वो नाम हां जो खुद में ही जादू से बड़ा है हर रिश्ते में हां जिसने अनुराग भरा है जिसकी दया से मैं हां इस धरा पे खड़ा हूं उन राम पर लिखूं अभी इतना ना बड़ा हूं ©Anurag kumar singh #JaiShreeRam