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ख़ुदा औ सनम के दर से लौट आया। अब सूकूं नहीं,मै सब्

ख़ुदा औ सनम के दर से लौट आया।
अब सूकूं नहीं,मै सब्र से लौट आया।

बुलंदियों पे पिघलने का ख़ौफ होता है
कुछ रोज़ टहल के अब्र से लौट आया।

ऊब गया था जिंदगी की तना-बाना से
जाऊं कहां मै तो कब्र से लौट आया।

इक तेरे चेहरे के दिद ए नूर के ख़ातिर
मै था कि मूंद आंखे गब्र से लौट आया।

जय कभी ख़ुश हुआ था तू भी शायद
बिखर रहा था फिर जब्र से लौट आया

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" लौट आया #mjaivishwa #bestshayari #bestgazals #sheroshayari
ख़ुदा औ सनम के दर से लौट आया।
अब सूकूं नहीं,मै सब्र से लौट आया।

बुलंदियों पे पिघलने का ख़ौफ होता है
कुछ रोज़ टहल के अब्र से लौट आया।

ऊब गया था जिंदगी की तना-बाना से
जाऊं कहां मै तो कब्र से लौट आया।

इक तेरे चेहरे के दिद ए नूर के ख़ातिर
मै था कि मूंद आंखे गब्र से लौट आया।

जय कभी ख़ुश हुआ था तू भी शायद
बिखर रहा था फिर जब्र से लौट आया

©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" लौट आया #mjaivishwa #bestshayari #bestgazals #sheroshayari