तु देख इस ज़िन्दगी क़े रंग बहुत अज़ीब ओ गरीब है ज़नाब इक़ रंग जैसे ही तुम्हें पसंद आयेगा, यें दूसरी बदल लेती है..! यें आज जो तेरे इर्द गिर्द भीड़ जमा है, चंद पलो की मेहमान है सब जरुरतमंद है, जरूरतें पूरी कर, देख यें कब चल देती है..! बहुत रंग है ज़माने क़े,अभी कोई इसको पहचान नहीं पाया है इक़ रंग चमकते दिखेगा,दूसरे पल ख़ुद को धूमिल कर लेती है.! इन रंगो का बदलाव ही ज़िन्दगी है,समझ पाये हो अब तलक इंसान भी मौकापरस्त है आज,इंसानियत कहाँ दिखायी देती है.! कितना अज़ीब अब मंज़र नज़र आ रहा है इस फ़िज़ा का भी रिश्ते सब छूट गये है, देखो लोंगो में आग ही आग लगा देती है..! क्या कहोगे तुम आज इस जहाँ को देखकर, क़िस रंग की है इक़ रंग तुमको दिखेगा, यह पहचान छोड़कर रंग बदल लेती है..! ज़माने में किसी क़े रंग को पहचानने का सलीका नहीं आया इंसान से गिरगिट अफसुर्दा है, यें क़िस रंग की दिखायी देती है..!! ©Shreyansh Gaurav #रंग #Thinking