Nojoto: Largest Storytelling Platform

#मैं..अनबुझ पहेली वर्षों से ढूंढ़ रहा हुँ मैं उन श

#मैं..अनबुझ पहेली
वर्षों से ढूंढ़ रहा हुँ मैं उन शब्दों को
जिसके स्पर्श मात्र से ही मिलती हैं सांत्वना
जैसे कोई अपनेपन में पीठ को थपथपा जाता हैं 
जैसे कोई हाथ आगे बढ़कर
कंधे पर उठाये हुए बोझ को थाम लेता हैं 
जीवन के अंधियारे में जैसे कोई आकर धीरे से कह जाता हैं कि 
तुम्हारे साथ मैं हूँ ना
जैसे कोई आंखें निश्छल होकर देखें और वहां कोई प्रश्न न हो
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली
#मैं..अनबुझ पहेली
वर्षों से ढूंढ़ रहा हुँ मैं उन शब्दों को
जिसके स्पर्श मात्र से ही मिलती हैं सांत्वना
जैसे कोई अपनेपन में पीठ को थपथपा जाता हैं 
जैसे कोई हाथ आगे बढ़कर
कंधे पर उठाये हुए बोझ को थाम लेता हैं 
जीवन के अंधियारे में जैसे कोई आकर धीरे से कह जाता हैं कि 
तुम्हारे साथ मैं हूँ ना
जैसे कोई आंखें निश्छल होकर देखें और वहां कोई प्रश्न न हो
@शब्दभेदी किशोर

©शब्दवेडा किशोर #मैं_अनबूझ_पहेली