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कहता है दुख ही सुख का यार है वो खत्म होकर, फ़िर लड़

कहता है दुख ही सुख का यार है 
वो खत्म होकर, फ़िर लड़ने को तैयार है

ना बिस्तर है ना जरुरत उसे सिरहाने की 
ज़िद्दी है वो ज़िद कर बैठा है कुछ पाने की

©Sandeep Sati
  #दोटूक