मेरे अज़ीज़ों की मुझ पर रहनुमाई है, मेरी कश्ती पतवारों ने ही डुबाई है । हर मौसम ने आज़माया है मुझे, मेरी हर शाख सावन ने जलाई है । क्यूं शिकवा करें तेरी बेवफ़ाई का 'प्रीत' ताउम्र दर्द ने वफ़ा निभाई है । @पीयू'प्रीत' ©pushpendra naruka #yaddein 'दर्द भरी शायरी'