मैं मस्जिद जाऊं या मंदिर मुझे मत रोको सुना है ऊपर वाला एक है मुझे मत रोको सुन लेगा वहां से जहां उसे अच्छा लगेगा उसी के सूरज है उसी के चांद मुझे मत रोको उड़ जाऊं परिंदो की तरह ये ख्वाहिश है मेरी कैसी बंदिशे कहां की सरहदे मुझे मत रोको मुझे जाना कहाँ है मेरी मंजिल कहाँ मत पुछो मेरा हौसला मेरा परवाज़ देखो मुझे मत रोको ठोकरे लगती है हज़ार नेकी के राह में पर मैं चलता रहूंगा लथपथ मुझे मत रोको ©mritunjay Vishwakarma "jaunpuri" मुझे मत रोको #bestgazals #bestshayari #bestnojoto #mjaivishwa #safar