अब ख़ुद ही सो जाता हूँ, मींच कर आँखे, वो लोरी अब मुझे याद नही रहती, जो मेरे बचपन में मुझे सुलाने को, मेरी माँ थी मुझसे कहती!! अब उन बहानो का समय कहां, जो जगते हुए भि सोने को करते थे, घर के कोने में कहीं अकेले, जाने से भी डरते थे, जब कभी कभी गिनती मम्मी, के मार के डर से पढ़ते थे!! एक कोना है, चार दिवारी का, मेरा बिस्तर ,अब कहलाता है, जिसे देख कर, मुझे मेरा, बचपन याद आता है! आधी जली रोटी भि अब, अच्छी ही लगती है,, एक दिंन मुझे खिलाने को, मेरी माँ सारी रात जगती है!! कल कि रात मैं भूखा ही सो गया, ये सोंच कर, अभी आएगी मेरी माँ, क्योंकि वो तो सारी सारी रात जगती है, आयी ही नही, ना जाने क्यूँ,, शायद, मुझसे बड़ी दूर, लगती है, मेरे बचपन कि यादें अब मुझसे ही छिपती है!! #बचपन,#nojoto #kavishala, #Hindiquote