दोहा :- मिट्टी की यह देह है , करना नहीं गुमान । ऊपर गिरधर तोलता , सबको एक समान ।।१ कंचन काया देखकर , करता क्यों अभिमान । नश्वर काया है मिली , कर ले इसका भान ।।२ मिट्टी की इस देह का , कर ले तू सम्मान । जन-गण के हित कार्य कर , रखते गिरधर ध्यान ।।३ मिट्टी को सोना बना , लेकर उनका नाम । उनके ही तो नाम से , होते सबके काम ।।४ मिट्टी के इस रूप को , कर ले तू अनमोल । गिरधर जिसको चाहता , उसका करें न तोल ।।५ १९/०४/२०२३ - महेन्द्र सिंह प्रखर ©MAHENDRA SINGH PRAKHAR दोहा :- मिट्टी की यह देह है , करना नहीं गुमान । ऊपर गिरधर तोलता , सबको एक समान ।।१ कंचन काया देखकर , करता क्यों अभिमान । नश्वर काया है मिली , कर ले इसका भान ।।२