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जब से उजड़ गई है, मेरे जगमगाते घर की रोशनी एक आंध

जब से उजड़ गई है, मेरे 
जगमगाते घर की रोशनी एक आंधी,
मैं कबसे अंधेरों में जी रहा हूं,
ज़िंदगी में रोशनी, अब मुझे रास नहीं 
आती, मैं अंधेरों का मुसाफिर हूं।।

ये नकली चकाचौंध सजावट की ,
एक सबसे बड़ा मौका है, सरेआम  
करने का फरेब, एक बड़ा धोखा है,,
 इसी सड़क पे, उजाले में बार-
बार जो लुट चुका है,वो मुसाफ़िर हूं ।।

©Anuj Ray
   # वो मुसाफिर हूं
anujray7003

Anuj Ray

Bronze Star
New Creator
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# वो मुसाफिर हूं #शायरी

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