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हर रोज अच्छी छवि बनाता में, पर साला कभी किसी को अ

 हर रोज अच्छी छवि बनाता में,
पर साला कभी किसी को अच्छा नजर ना आता मै।

हर अपने को देखने के बहाने से हर रोज उसके घर के सामने से जाता में,
पर कभी उसके दिल मे जगह ना बना पाता मै।

कभी कभी अंजाने में अपनों से टकराता में,
पर अपनों के लिए ही तो ज़ख्म खाता मै।

हर बार की तरह रिश्तों से मार खाता में,
प्रेम के शब्दों के लिए ना जानें क्यों तरस जाता मै।

अपना है वो मेरा खून ही का नाता हैं,
फिर क्यूं ये धन दौलत आड़े आ जाता हैं।

किसी अपने से हम,क्यूं दुर रह कर जीते हैं,
उसे मरने के बाद सारे गम आंसुओं में पीते हैं।

चलो अब यहां से जाता में,
तो भला तूझे क्यूं याद आता मै।

इक इंसान जीते जी क्यूं ना नजर आता हैं
मरने के बाद ही ये तेरा दिल क्यूं पसीज जाता हैं

©jyoti gurjar
  #इक_मरा_हुआ_इंसान
#हकीक़त
janviigurjar7511

jyoti gurjar

Bronze Star
New Creator

इक_मरा_हुआ_इंसान #हकीक़त #शायरी

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