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तू छोड़ दें कोशिशें इंसानो को पहचानने की, यहाँ ज़र

तू छोड़ दें कोशिशें इंसानो को पहचानने की, यहाँ ज़रूरतों के हिसाब से सब बदलते नक़ाब हैं, अपने गुनाहों पर सौ पर्दे डालकर हर शख़्स कहता है, ज़माना बड़ा ख़राब है।

©Manish kumar yadav
  khushi bhatt deepshi bhadauria