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गुनाह होते हुए जिसने भी चुप्पी साधी है वह इंसान नह

गुनाह होते हुए जिसने भी चुप्पी साधी है
वह इंसान नहीं वह एक समाधी है
फर्क क्या है उसने लूटा तूने लूटने दिया
वह प्रत्यक्ष तू अप्रत्यक्ष अपराधी है
तेरा मुँह फेरना भी तेरी सहमति थी
उसकी पूरी गलती है तो तेरी आधी है
जो चुप न रहे विरोध करें अन्याय पर
वही धार्मिक है वही अवराधी है
      सन्तोष पांडेय(सत्यबन्धु) Dr.Imran Hassan Barbhuiya hm alam siddiqui Suman Zaniyan
गुनाह होते हुए जिसने भी चुप्पी साधी है
वह इंसान नहीं वह एक समाधी है
फर्क क्या है उसने लूटा तूने लूटने दिया
वह प्रत्यक्ष तू अप्रत्यक्ष अपराधी है
तेरा मुँह फेरना भी तेरी सहमति थी
उसकी पूरी गलती है तो तेरी आधी है
जो चुप न रहे विरोध करें अन्याय पर
वही धार्मिक है वही अवराधी है
      सन्तोष पांडेय(सत्यबन्धु) Dr.Imran Hassan Barbhuiya hm alam siddiqui Suman Zaniyan