"काफ़िर ही अच्छा था मैं, कहां मैं इबादत करने चला, खामखां मैं शौक़ीन की हिफाज़त करने चला,, बेरहमी मशहूर थी मेरी हरिफो की फौज में, हार गया जो इश्क के नाम रियायात करने चला,," ©Dr.Anupam Singh Amethia #Dranupamsingh काफ़िर- नास्तिक, हरीफ- दुश्मन,