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प्रेम में तो सखी हर्ष है विषाद है पढ़ा सके पहले स

प्रेम में तो सखी हर्ष है विषाद है 
पढ़ा सके पहले से क्या कोई किताब है 

विवाह में उत्तरदायित्व है अधिकार है 
समझ में आ  जाए तो विवाह भी खिताब है 

बीतते हैं साल दर साल हथकड़ियों के साथ 
हाथ छुड़ाने वाले टिक पाएंगे कहीं यही तो सवाल है 

 दोष देखने वालों का गुणों को नजरंदाज करना ही मलाल है 
अपनी कमियों को नहीं देखने का चलन ही करता बवाल है
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla चलनNeel Lalit Saxena Disha vineetapanchal KK क्षत्राणी Priya
प्रेम में तो सखी हर्ष है विषाद है 
पढ़ा सके पहले से क्या कोई किताब है 

विवाह में उत्तरदायित्व है अधिकार है 
समझ में आ  जाए तो विवाह भी खिताब है 

बीतते हैं साल दर साल हथकड़ियों के साथ 
हाथ छुड़ाने वाले टिक पाएंगे कहीं यही तो सवाल है 

 दोष देखने वालों का गुणों को नजरंदाज करना ही मलाल है 
अपनी कमियों को नहीं देखने का चलन ही करता बवाल है
बबली भाटी बैसला

©Babli BhatiBaisla चलनNeel Lalit Saxena Disha vineetapanchal KK क्षत्राणी Priya