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अब छीपना छिपाना छोड़ देते है इंतजार ख़तम हो रहा ह

अब छीपना छिपाना छोड़ देते है 
इंतजार ख़तम हो रहा है 
इजहार कर देने में क्या गलती
बोलकर फिर ना जाना 
नादान ए इश्क से प्यारी जान
अब तो इश्तहार भी छपवा दिया है अखबार में 
आपके कोल की राह है ___________________________

"बहुत हुआ छिपना-छुपाना,
खुल-ए-आम प्यार दे दूं क्या?

मुझे बस इश्क़ है तुमसे,
ये अख़बार में इस्तेहार दे दूं क्या??"
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अब छीपना छिपाना छोड़ देते है 
इंतजार ख़तम हो रहा है 
इजहार कर देने में क्या गलती
बोलकर फिर ना जाना 
नादान ए इश्क से प्यारी जान
अब तो इश्तहार भी छपवा दिया है अखबार में 
आपके कोल की राह है ___________________________

"बहुत हुआ छिपना-छुपाना,
खुल-ए-आम प्यार दे दूं क्या?

मुझे बस इश्क़ है तुमसे,
ये अख़बार में इस्तेहार दे दूं क्या??"
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___________________________ "बहुत हुआ छिपना-छुपाना, खुल-ए-आम प्यार दे दूं क्या? मुझे बस इश्क़ है तुमसे, ये अख़बार में इस्तेहार दे दूं क्या??" ___________________________ #poem #yqbaba #yqdidi #YourQuoteAndMine