अब छीपना छिपाना छोड़ देते है इंतजार ख़तम हो रहा है इजहार कर देने में क्या गलती बोलकर फिर ना जाना नादान ए इश्क से प्यारी जान अब तो इश्तहार भी छपवा दिया है अखबार में आपके कोल की राह है ___________________________ "बहुत हुआ छिपना-छुपाना, खुल-ए-आम प्यार दे दूं क्या? मुझे बस इश्क़ है तुमसे, ये अख़बार में इस्तेहार दे दूं क्या??" ___________________________