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*चल तो रहे हैं भजन सिमरन पर ,* *सुनने व

*चल तो रहे हैं भजन सिमरन पर ,*
           *सुनने वाले कान नहीं ।*
*कीचड़ में कमल का खिलना ,*
        *इतना भी आसान नहीं ।।*

*दुख से भरा जा रहा आदमी,*
      *लगा दिन-रात कमाने में ।*
*"मैं क्या हुँ" बता रहा हर किसी को,*
                  *यहाँ जमाने में ।।*

*मकान, प्लाटों धन दौलत से ,*
           *होतीं है यहाँ पहचान ।*
*जिसने भी यह सब पा लिया,* 
          *वही बनता यहाँ महान ।।*

*इतनी बेहोशी में चलते ,* 
     *सबने पहुँच जाना है श्मशान ।*
*झुठा नाम छपा रह जाएगा ,*
         *जो थी तेरी यहाँ पहचान ।।*

*कमल भी गंदगी के ,*
      *ऊपर ऊपर ही तो मिलता है।*
*तभी तो ऊपर ऊठकर ,*
         *प्यारा प्यारा सा खिलता है।।*

*माना यह जिंदगी 'निर्मल' ,*
       *दुख भरी काली रात है ।*
*पर रौशनी में ले जाने वाला ,*
         *'सतगुरु ' तेरे साथ है ।।*

*चल तो रहे हैं भजन-किरतन पर ,*
           *सुनने वाले कान नहीं ।*
*कीचड़ में कमल का खिलना ,*
        *इतना भी आसान नहीं ।।*🙏🏻

©Andy Mann #सुमिरन