कहो क्या कहते हो, सुना है आजकल पीठ पीछे बहुत बकते हो। लाओ क्या लाए हो,पियुष के प्याले मे विष भर मोहनी बने आए हो? देखूँ क्या तोहफा है,माँ के आँचल जैसा, कफन का अंगोछा है! कौन हो तुम?बुझाओ तो ज़रा, अंतरात्मा को खा़क करने से पहले, दिव्य दर्शन दिखाओ तो ज़रा। कुंठा है क्या नाम तुम्हारा? ईर्ष्या से क्या जन्म हो? फिर क्रोध और स्वार्थ से पनपे हो क्या है तुम्हारा तोड़,कैसे होती है तुम्हारी लपटें कमजोर, क्या गंगा मे नहाऊ? या महाकालला को दुग्ध चढाऊँ? या फिर सिर्फ एक बार"मैं" सिर्फ "मैं"के बन्धन तोड "हम" में विलिन हो जाऊं। #nojoto #pragatishukla