प्रेम का अर्थ यदि कामना से है, तो वह प्रेम नही, प्रेम से कुछ भिन्न है, प्रेम का भ्रम है, जिस प्रकार पूजन मे प्रयोग होने वाले, अक्षत के दाने का अर्थ चावल नही है, ठीक वैसे ही, प्रेम का अर्थ, कामना भी नही है..।। प्रेम की परिकल्पना यदि सुख से है, तो वह प्रेम नही, प्रेम से कुछ विलग है, प्रेम का संशय है, जिस प्रकार अग्नि के रौशनी करने की, परिकल्पना दीपक नही है, ठीक वैसे ही, प्रेम की परिकल्पना, मात्र सुख भी नही है..।। #पूर्ण_रचना_अनुशीर्षक_मे #प्रेम प्रेम का अर्थ यदि कामना से है, तो वह प्रेम नही, प्रेम से कुछ भिन्न है, प्रेम का भ्रम है,