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अपना घर घर वह है जहाँ बुजुर्गों का इक साया है ।

अपना घर

घर वह है जहाँ बुजुर्गों का इक साया है ।

जहाँ बस अपनों के प्यार की माया है ।।

जहाँ हँसी-ठिठोली, चहल-पहल ।

जहाँ सबके दिलों में रहता हर इक पल ।।

जहाँ मजबूत ईंटों की इक नीव होती है ।

पर इस नींव में एक भी दरारें नहीं होतीं ।।

जहाँ आपस में आगे बढ़ने की होड़ होती है ।

पर किसी सदस्य में स्वार्थपरता नहीं ।।

जहाँ की खिड़कियाँ-दरवाज़े ये सब ।

हवाओं के झोंकों संग बाते करते हैं ।।

जहाँ सभी मधुर रिश्ते जन्म लेते हैं ।

जहाँ रिश्तों की डोरी सबके हाँथ होती है ।।

जहाँ आँगन में हर पल किलकारियाँ ।

और औरतों की मीठी हँसी गूंजती है ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी घर अपना
अपना घर

घर वह है जहाँ बुजुर्गों का इक साया है ।

जहाँ बस अपनों के प्यार की माया है ।।

जहाँ हँसी-ठिठोली, चहल-पहल ।

जहाँ सबके दिलों में रहता हर इक पल ।।

जहाँ मजबूत ईंटों की इक नीव होती है ।

पर इस नींव में एक भी दरारें नहीं होतीं ।।

जहाँ आपस में आगे बढ़ने की होड़ होती है ।

पर किसी सदस्य में स्वार्थपरता नहीं ।।

जहाँ की खिड़कियाँ-दरवाज़े ये सब ।

हवाओं के झोंकों संग बाते करते हैं ।।

जहाँ सभी मधुर रिश्ते जन्म लेते हैं ।

जहाँ रिश्तों की डोरी सबके हाँथ होती है ।।

जहाँ आँगन में हर पल किलकारियाँ ।

और औरतों की मीठी हँसी गूंजती है ।।

राone@उल्फ़त-ए-ज़िन्दग़ी घर अपना
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Raone

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घर अपना #कविता