Nojoto: Largest Storytelling Platform

कभी हमदोनों एक दूसरे को निहारते थकते नहीं थे,प्या

कभी हमदोनों एक दूसरे को निहारते 
थकते नहीं थे,प्यार की बातें करते-करते 
कितना समय बीत जाता था कि समय 
का पता ही नहीं चलता था। आज मैं पास
 बैठी हूँ पर इन्हें मेरा ख्याल ही नहीं है।
पता नहीं गगनचुम्बी क्यों बने हुए हैं।

©Dr B N Mahto
  #गगनचुम्बी 
 narendra bhakuni डॉ मनोज सिंह,बोकारो स्टील सिटी,झारखंड। (कवि,संपादक,अंकशास्त्री,हस्तरेखा विशेषज्ञ 7004349313)