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ए पल तू थोड़ा तो ठहर जा मैं भी अपनी बीत लम्हें को

ए पल तू थोड़ा तो ठहर जा
मैं भी अपनी बीत लम्हें को याद कर लूं
कोई तो सुन ले मेरी फरियाद
जी लूं मैं अपना बचपन मां के आंचल में
उंगली पकड़ घूम लेते पिता के छांव में
फिर वो आए ऐसा दिन जिसमे में थी बिना स्वार्थ वाली दोस्ती 
कितना अच्छा वो वक्त था आज भी हसीं आती है उन शैतानियों पर जब
सब दोस्तों को कक्षा के बाहर मास्टरजी मुर्गा बना के खड़ा किया करते थे। #yolewrimo के अंतिम दिन में आज का ख़त #बिछड़तेहुएलम्हेकेनाम लिखें। 
 #YourQuoteAndMine
Collaborating with YourQuote Didi
ए पल तू थोड़ा तो ठहर जा
मैं भी अपनी बीत लम्हें को याद कर लूं
कोई तो सुन ले मेरी फरियाद
जी लूं मैं अपना बचपन मां के आंचल में
उंगली पकड़ घूम लेते पिता के छांव में
फिर वो आए ऐसा दिन जिसमे में थी बिना स्वार्थ वाली दोस्ती 
कितना अच्छा वो वक्त था आज भी हसीं आती है उन शैतानियों पर जब
सब दोस्तों को कक्षा के बाहर मास्टरजी मुर्गा बना के खड़ा किया करते थे। #yolewrimo के अंतिम दिन में आज का ख़त #बिछड़तेहुएलम्हेकेनाम लिखें। 
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