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अब तो उजाले में भी रोशनी नजर नहीं आती है, जिंदगी ब

अब तो उजाले में भी रोशनी नजर नहीं आती है,
जिंदगी बियाबान सी नजर आती है।
सूनी सूनी सी है मेरी कलाई,
ना ही उम्मीद देती दिखाई।
लगता है जैसे खुशियों ने ले ली हमसे विदाई,
राखी के दिन भाई की खाली रह जाए कलाई।
वैसे तो हम उम्मीद छोड़ चुके हैं,
अपनों से नाता तोड चुके हैं।
वो बाते बड़ा तड़फाती है,
जब याद बहना की आती है।
क्या पैसा रिश्ते नातों से बड़ा हो गया,
याद करके पुरानी बातें दिल बहुत दुखी हो गया।
सच में दिल बहुत रोता है,
जब कोई अपना होकर भी अपना नही होता है।
मुझसे खता क्या हुई एक बार मुंह से बोलकर बता दें,
अपना नहीं तो पराया बनकर बता दें।
हम तो अब भी बहना के लिए जान हथेली पर रखते हैं,
उनको जीवन में दुखी नहीं देख सकते हैं।
क्यों इस तरह मुझसे मुंह मोड़ा,
क्या मैंने आपको कभी मझधार में छोड़ा।
मैं तो इस मोमबत्ती की तरह जलता हूं,
अब रिश्ते नाते जोड़ने से डरता हूं।
सभी को 'राखी' की देता हूं बधाई,
आज के दिन न रहे खाली किसी भाई की  कलाई।

©Shishpal Chauhan
  # रक्षा बंधन

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