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चाहे प्रेम में रख, चाहे रख मुझे वार में, चाहे सृजन

चाहे प्रेम में रख, चाहे रख मुझे वार में,
चाहे सृजन में रख, चाहे रख मुझे संहार में,,
चाहे मिलन में रख, चाहे रख मुझे वियोग में,,,
चाहे खुशी में रख, चाहे रख मुझे तू सोग में,,,,
चाहे बंदगी में रख, चाहे रख मुझे बन्दिशों में,,,,,
मै तो हूं तेरे मन की दबी सी चाह सी
 कहीं से भी उग आऊंगा,,,,,,,,
हां, कहीं से भी उग आऊंगा मैं, 
तेरे थके मन को छांव देने प्रेम की
तेरे रुके कदमों को राह देने नए सफर की
तेरी मायूस आंखो में सपने देने नए जीवन के...
हां, तेरे लिए मै कभी भी कहीं से भी उग आऊंगा।।।।।

©B.L Parihar #आऊंगा
चाहे प्रेम में रख, चाहे रख मुझे वार में,
चाहे सृजन में रख, चाहे रख मुझे संहार में,,
चाहे मिलन में रख, चाहे रख मुझे वियोग में,,,
चाहे खुशी में रख, चाहे रख मुझे तू सोग में,,,,
चाहे बंदगी में रख, चाहे रख मुझे बन्दिशों में,,,,,
मै तो हूं तेरे मन की दबी सी चाह सी
 कहीं से भी उग आऊंगा,,,,,,,,
हां, कहीं से भी उग आऊंगा मैं, 
तेरे थके मन को छांव देने प्रेम की
तेरे रुके कदमों को राह देने नए सफर की
तेरी मायूस आंखो में सपने देने नए जीवन के...
हां, तेरे लिए मै कभी भी कहीं से भी उग आऊंगा।।।।।

©B.L Parihar #आऊंगा