समझौता हो तो किश्तों मे रिश्तों को बख़्श दिया जाए ना रश्क हो रिश्तों में कोई इनसे बस इश्क किया जाए जिनमें बसती थी जान कभी उन बिन अब कैसे जिया जाएं बस बहुत हुआ रोना धोना उसे हंसकर विदा किया जाए अपर्णा विजय ©अपर्णा विजय #रिश्ते