चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। तेरी हँसी को अपना मान कर, खूब टहाके लगाता हूं। चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। जब चालाकी का जामा पहना, विवेक आंसू बन बह गया आत्मा अंतस छोड़ गयी, ये ढ़ाचा शरीर का रह गया। मुर्दो के बाजार में, अपना मोल लगवाता हूं चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। खोखली हंसी, हल्के आंसू का स्वांग बड़ा आसान है, नादानी में ये न समझो की दुनिया बड़ी नादान है, पाठ पढ़ाया जब जो जिसने, वाह-वाह कर उन्हें रिझाता हूं चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। शिष्य गुरु का, पुत्र पिता का, मान, समान न रह गया विद्या, स्नेह, वात्सल्य विहीन, कोरा अभिमान रह गया फेर कर मूहँ, मार कर आंखे, पाँव कभी छू जाता हूं चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। आने भर का झंडा लेकर, देशभक्त बन जाता हूं, भारत माता की जय हो, ये नारा मैं खूब लगाता हूं, घर, मोहल्ला, गांव, शहर, राज्य, देश के आड़े, बूढ़ी माँ को मैं अकसर भूल जाता हूं। चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। सपनों की दुकान सजाकर, बेकारों को पास बुलाकर, उनके आत्म-विश्वास को झकझोड़ता हूं, उनके इरादों को कभी तोड़ता हूं - कभी जोड़ता हूं चटक सफ़ेद कुर्ते की, फ़टी ज़ेब में, अपनी उँगली घुमाता हूं चल मैं भी झूठा हो जाता हूं। #life #soul