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भय छनिक भर का ये भाव मन के भीतर बस जाता है सोच किस

भय
छनिक भर का ये भाव
मन के भीतर बस जाता है
सोच किसी अनहोनी को
ह्रदय कांप जाता है
भय पे कभी पूर्ण विजय
कोई कर पाया नही
जीवन काल मे कभी तो
भय ने उसे डराया है
कभी भय प्राणो का
कभी अपनों को खो देने का
कभी अप्रिय घटना के
किसी छन घट जाने का
रहता है भय सब के मन मे
करता हैं भयभीत छन भर मे

©vaishnavi Mala 
  भय

भय #शायरी

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