डूबा हू।अस्त नही। उगते और अस्त होते सूर्य को पूजने वाला बिहार हूं । सुनहरे कल को खोजता। साथ आज भी अपने अतीत को समेटे बिहार हूं । हू अगर मे महात्मा बुध और माहावीर जैन का बिहार तो सब कुछ अपना मानवता पे निछावर करने वाला गुरु गोबिंद सिंह का संसार हूं । हां में बिहार हू। रास्ट्र कवी "दिनकर" की कावय पंक्तिया हूं ।तो असी साल के बाबू वीर कुवर सिंह के तलवार की धार हूं । हां में बिहार हू। हिंदुस्तान के हर शहर की नयी प्रगती के पथ की गाथा लिखता अधिकारी तो। उस पथ को नया आकार देता मजदूर का हाथ हूं । डूबा हूं।अस्त नही हुआ। फिर होना है खडा मुझे।क्यों की हराया जिस लोधी को उस"शेर शाह "की धरती मे महान हूं । डूबा हूं पर हारा नही में वह "बिहार"हूं । #patnaflood