_____________________ रिमझिम बरस रहे हैं मेघा, सुन्दर गिरे फुहार है। चहूॅं ओर दिखती हरियाली, छाई मस्त बहार है। गर्मी से अब राहत पाई , सुन्दर ये दिनमान है। प्रेम रंग कीं कलीं खिलीं हैं ,जाग उठे अरमान हैं। संग सखीं सब पीहर जाती , सावन का त्योहार है। मिलके सखियाॅं झूला झूलें,गातीं सब मल्हार है। हरी-लाल हाथों में चूड़ियाॅं ,किए सरस शृंगार हैं। पींग बढ़ातीं मारें ठुमका , पायल की झनकार है। _______________________________ ©V. Aaraadhyaa #धरा Chhuan