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vaaradhya2245
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A@

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A@

कभी सोचा था...
कि चलेंगे साथ साथ :
पर... अब ज़ब फासले बढ़ गए तो,
समझ आया कि, कोई ना देगा साथ "

©V.Aaradhyaa
  #LongRoad
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A@

ज़िन्दगी जैसी भी थी...!
ईब जला दी तो जला दी...!!
अब धुएं पर शोर कैसी...!
और राख पर तमाशा कैसा...!!

©V. Aaraadhyaa
  #addiction
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A@

कुछ नरगिसी ताब सा था,
उसका चेहरा गुलाब सा था  "
महज़ एक बोसा ही तो देना था ,
कि उसका हुस्न शबाब सा था !

©V. Aaraadhyaa
  #Soul
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A@

उस गुल की बात क्या होगी...
जिसे गुलिस्तां ने सबसे महफूज रखा है ;
भला बताओ, ऐसे पुष्प का,
मकरन्द किसीने चखा है !

©V. Aaraadhyaa
  #Soul
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A@



उनकी आंखों में मैंने ,
                     इश्क का समंदर देखा था।

बेताब होकर तड़पते ,
                   इश्क का वो मंजर देखा था।

जब दोनो राजी हुए थे तो ,
                      फिर किसी की क्या जरूरत थी।

राहे इश्क में हमने ,
                        दोस्तों के हाथो खंजर देखा था।

©V. Aaraadhyaa
  #feelingsad
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A@



क्या बताएं, क्या हाल है,
 आपकी ऐसी कमतरी का ;
कभी दूसरों के इशारे पर,
 नाचते हुए लाचार से लगते हो !

एक बार सरसरी तौर पढ़कर,
ऐसे किसी भी किनारे रख दे ;
गुजरते वक्त संग ऐसे ही किसी,
बेहद पुराने अख़बार से लगते हो !

©V. Aaraadhyaa
  #feelingsad
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A@

चाँद को चाँदनी मयस्सर कहाँ...?
वो तो एक वहम सा ,
अपने दिल में लिए बैठा है कि...
चाँदनी उसके दम से चमका करती है!

©V. Aaraadhyaa
  #Crescent
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A@

दूज का चाँद तो ,
अपनी चाँदनी बिखेर चला  !
अब तुम किसके इंतजार में ,
रतजगा किये बैठे हो...!

©V. Aaraadhyaa
  #Crescent
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A@

एक सिगरेट ही है जो...
मेरा साथ निभाती है !
कुछ देर तक ही सही...
मेरे जलते जिगर के साथ...
जलती और सुलगती है...!

©V. Aaraadhyaa
  #ChainSmoking
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A@

रातें चाहे कितनी भी अँधेरी हो,
भोर के हाशिए से
आता है सूरज़ और रौशन कर जाता है!

©V. Aaraadhyaa
  #Exploration
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