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"भूली बिसरी यादें" आज भी रोज क्या बादल आते होंगे स

"भूली बिसरी यादें"
आज भी रोज क्या बादल आते होंगे
सर सर हवाएँ क्या आज भी गूँजती होगी

क्या आज भी चाँद अपनी चांदनी  की आभा में मदहोश होगा
क्या आज भी मुझ जैसा कोई तुझे देखता होगा

क्या आज भी कोई खुले आसमान के नीचे,
नीले आकाश में और तारों के चमकने पे मुस्कुराता होगा

क्या आज भी कोई मिट्टी की ख़ुशबू से
बादलों की बूंदों में नाचता होगा

क्या आज भी  कोई दरिया  की आवाज सुनके भागता होगा
नई रचनाओं को रचता होगा

क्या आज भी पहाड़ो में खिलती धूप 
चाँदनी सी बिखरती होगी,
कई दिलों में नई उमंग भरती होगी

क्या आज भी बारिश के बाद मेरा शहर नया नया धुला धुला  सा लगता होगा


Rakhi Om

©Rakhi  Gupta
  # भूली बिसरी यादें#
rakhigupta3359

Rakhi Om

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# भूली बिसरी यादें# #कविता

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