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इंसान चीज नहीं, जिसे ठोक बजाकर योग्य या अयोग्य सम

इंसान  चीज नहीं,
जिसे ठोक बजाकर
योग्य या अयोग्य समझा जाय।
कोई पल भर में समझ आ जाता है
कोई समझ आकर,
पलकों से बह जाता है।
कोई डरावनी ख़्वाब की तरह
कोई सुबह की ख़्वाब की तरह होता है।
इन्सान  चीज नहीं
जिसकी कीमत जानकर
योग्य या अयोग्य समझा जाय।

©#suman singh rajpoot
  #landscape इंसान  चीज नहीं,
जिसे ठोक बजाकर
योग्य या अयोग्य समझा जाय।
कोई पल भर में समझ आ जाता है
कोई समझ आकर,
पलकों से बह जाता है।
कोई डरावनी ख़्वाब की तरह
कोई सुबह की ख़्वाब की तरह होता है।

#landscape इंसान चीज नहीं, जिसे ठोक बजाकर योग्य या अयोग्य समझा जाय। कोई पल भर में समझ आ जाता है कोई समझ आकर, पलकों से बह जाता है। कोई डरावनी ख़्वाब की तरह कोई सुबह की ख़्वाब की तरह होता है। #Thoughts

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