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ये पानी का रेला, ये पानी की हस्ती, ये सूरज की कि


ये पानी का रेला, ये पानी की हस्ती, 
ये सूरज की किरणों से खिलती है बस्ती,
 बैठ सागर किनारे, असमंजस में हूँ, 
कोई दूर से मुझको पुकारे या कि शायद 
मै अभी सपने में हूँ।।

©Senty Poet
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