बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे। ये दर्द भरी ग़ज़ल अपनी कहां गाओगे।। बस कुछ और देर पहलू में बैठो। हम सब सुनेंगे, तुम जो भी सुनाओगे।। बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे,,,,,,,, ये कड़ाके की सर्दी,ये सुलगती आग कहां पाओगे। ये मचलती हसरतें,ये मदहोश निगाहें कहां पाओगे।। हम नशें में नहीं है शराब के,ये तेरे इश्क की बेपरवाहियां हैं। हम तो बहकने लगे हैं,कुछ देर में तुम भी बहक ही जाओगे।। बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे,,,,,,, ये घने बादलों के बीच में इतराता चांद कहां से लाओगे। ये भीनी सी खुशबू मेरे बदन की कहां से लाओगे।। ये सिर्फ छुअन नहीं है तुम्हारी उंगलियों की, कुछ सुलगते अरमान मेरे भी है। हम तो मस्त है,हमें यकीन है तुम भी मदमस्त हो ही जाओगे।। बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे,,,,,,, अपनी खामोशियों की जुबान,किसे समझाओगे। ये जज़्बातों का सैलाब है,इससे कहां पार पाओगे।। हम तो डूब चुके हैं,इसकी गहराइयों में। कब तक टिकोगे,कुछ देर में तुम भी डूब जाओगे।। बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे,,,,,,, दफ्न हसरतों को अपनी कब तक छुपाओगे। ये बेतुके इशारे कब समझ पाओगे।। ये बाहें बेताब हैं तुम्हें आगोश में भरने को। कुछ पल और रुको तुम भी सिमट ही जाओगे।। बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे,,,,,,,, ये चुभन,ये जलन,ये धड़कनों की रफ़्तार कब तक छुपाओगे। दहकते शोलो के जैसे जिस्म की आग को कहां बुझाओगे।। देखना है अपने जमीर की सख्ती से ख़ुद को कब तक रोक पाओगे। हम तो पिघल चुके हैं, तुम भी पिघल ही जाओगे।। बड़ी रात हो गई है,अब कहां जाओगे,,,,,,,, बड़ी रात हो गई है अब कहां जाओगे ✍️✍️✍️✍️