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छठ के बाद का खालीपन, जैसे बिदाई के बाद का घर। मा

छठ के बाद का खालीपन,
 जैसे बिदाई के बाद का घर।
 मानो छठ से छठ ही चलता हो,
 हमारा कैलेंडर ।
संतरा केतारी और ठेकुआ, 
पैकिंग करो ट्रेन का समय हुआ।
 भाई बहिन और बाते हजार,
 कल से मईया अकेली हैं।
वही सुना आंगन द्वार ठेकुआ,
 की पोटली ले दिल के हिस्से,
 को छोड़कर चल परे हम शहर की ओर।

अपना कलम उनके लिए स्पेशल जो केवल त्यौहार में घर आते है ,प्रवासी उत्तर भारतीयों। फिर से इंतजार रहेगी छठी माई का।

©Shivshyam Gaurav प्रवासी भारतीय
छठ के बाद का खालीपन,
 जैसे बिदाई के बाद का घर।
 मानो छठ से छठ ही चलता हो,
 हमारा कैलेंडर ।
संतरा केतारी और ठेकुआ, 
पैकिंग करो ट्रेन का समय हुआ।
 भाई बहिन और बाते हजार,
 कल से मईया अकेली हैं।
वही सुना आंगन द्वार ठेकुआ,
 की पोटली ले दिल के हिस्से,
 को छोड़कर चल परे हम शहर की ओर।

अपना कलम उनके लिए स्पेशल जो केवल त्यौहार में घर आते है ,प्रवासी उत्तर भारतीयों। फिर से इंतजार रहेगी छठी माई का।

©Shivshyam Gaurav प्रवासी भारतीय