रिश्तों में प्राथमिकता यू तो ज़िंदगी में बहुत से रिश्ते है कहने को दोस्त है जानने वाले है फ़ोन में हज़ार में contact नंबर है office है employees है घर है परिवार है सब है इक रिश्तों की लंबी line है ये भी कहना ग़लत नहीं होगा और हा सुनो तुम भी हो पर इन सब के बाद भी इतने रिश्तों के बाद भी मैंने कभी जीवन में ऐसा महसूस नहीं किया की किसी भी रिश्ते की पहली प्राथमिकता मैं हूँ समाज से परे बंधनों से मुक्त ग़लतिया अच्छाईया सब से किनारे उस रिश्तों में मैं सर्वोपरि हूँ …. जब मैं तकलीफ़ में रहु या मन कही उदास सा हो तो ये जानने वाला महसूस करने वाला कोई तो हो जो समझ सके बिना किसी अपनी मजबूरियों को गिनाये बिना किसी अपने काम की मजबूरियों का हवाला दिये बिना किसी द्वन्द के बिना किसी अठहास के इक मौन के साथ मुझे समझे सुने और हाथ में हाथ लेकर विश्वास दिलाये की सुनो तुम मेरे लिये सर्वोपरि हो महसूस किया है मैंने कुछ ख़ास दिनो में कुछ ज़रूरत के पलों में ख़ुद को अकेला सबसे अकेला इक तरफ़ दूसरी तरफ़ लोगो के तंज़ लोगो की बुरा साबित करने की कोशिश उनके ख़ुद के काम उनका परिवार उनकी सारी चीज़े और अंत में तुम मुझे समझ नहीं सकते ये कह कर हाथ छुड़ाना सुनो जब जब लगा की तुम्हें मेरा हाथ थामना चाहिए तुमने तब तब हाथ छुड़ाने की कोसिस की वजह कुछ भी रही हो वजह मेरी तकलीफ़ नहीं भरती ये जानते हुए की मैं दर्द में तुम्हारी तरफ़ से उसको बेक़द्र कर देना उस दर्द को कई हज़ार गुना बढ़ा देता है की सुनो जाने से पहले कभी मिलना अपनी मजबूरियों को किनारे कर मेरी ग़लतियों को किसी पेटी में भर कर जहाँ सिर्फ़ मैं तुम और वो विश्वास हो की मैं *इस रिश्ते की प्रथम प्राथमिकता हूँ मैं इस रिश्ते में सर्व सर्वोपरि हूँ* तब तक के लिये #ख़ैर ©पूर्वार्थ #रिश्ते