तुम 'कृति' हो गुरु, मैं 'अनुकृति' हूँ ! तुम चित्र मैं जिससे,चित्रित हूँ !! मैं नहीं जानता रवि हूँ मैं फिर कैसे कह दूँ कवि हूँ मैं ? परछाईं मैं,गुरू-अनुसेवक, अपने ही गुरू की,छवि हूँ मैं !! 🙏🙏 श्रद्धेय गुरुवर को सादर नमन (शुभ वसंतागमन ) ©Ravi Srivastava #Exploration