सजल ~~~~ झगड़ों से हमें फुर्सत नहीं मतलब की बातों से लेना क्या है। चाहिए नहीं खिला हुआ चेहरा सौगातों से लेना क्या है।। झाँसे देकर छलना बहुत और फिर अपना उल्लू सीधा करना। फँसाकर अब दिन में ही होती लूट है रातों से लेना क्या है।। मरता है कोई भी तो मर जाये पासों की चाल तमाशों में। हम ना है प्यादे न हैं मोहरें हमें बिसातों से लेना क्या है।। बुरा क्या है हाथ साफ करने में लगे हाथ भेड़ों सी भीड़ में। आघात लगे किसी को तो क्या हमें आघातों से लेना क्या है।। क्या जाता है शामिल खुद को करने से उनकी आग लगाई में। खुद पर बीते देखेंगे हमें पराई मौतों से लेना क्या है।। @ गोपाल 'सौम्य सरल' #झगड़े #जिन्दगी #कोराकाग़ज़ #नफरत #glal #yqdidi #सजल