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एक हो तो बतलाऊँ मैं मुद्दा जो है आज का, बद से बदत

एक हो तो बतलाऊँ मैं
मुद्दा जो है आज का, 
बद से बदतर हुआ है हाल 
देखो हमारे समाज का, 
हर गली नुक्कड़ मे बैठे है गिद्ध नज़र गड़ाए, 
हर चौक चौबारे मे रहते हैं अवसरवाद घात लगाए, 
अपने ही घर गलियारों मे 
सुरक्षित नहीं हमारी माँ और बहनें, 
रक्षक ही यहां भक्षक बन पड़े हैं 
बोलो अब इसमे और क्या कहने,
धर्म और जाति के नाम पर
बट रहें कट रहें इंसान यहाँ, 
ए "ऊपरवाले" अब तो तू खुद भी
पहचान ना पाएगा अपना ये जहाँ एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। 

कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है।

क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये।

*आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
एक हो तो बतलाऊँ मैं
मुद्दा जो है आज का, 
बद से बदतर हुआ है हाल 
देखो हमारे समाज का, 
हर गली नुक्कड़ मे बैठे है गिद्ध नज़र गड़ाए, 
हर चौक चौबारे मे रहते हैं अवसरवाद घात लगाए, 
अपने ही घर गलियारों मे 
सुरक्षित नहीं हमारी माँ और बहनें, 
रक्षक ही यहां भक्षक बन पड़े हैं 
बोलो अब इसमे और क्या कहने,
धर्म और जाति के नाम पर
बट रहें कट रहें इंसान यहाँ, 
ए "ऊपरवाले" अब तो तू खुद भी
पहचान ना पाएगा अपना ये जहाँ एक लेखक जिस तरह ख़ुद पर नज़र रखता है उसी तरह देश, दुनिया एवं समाज पर भी उसकी गहरी नज़र होती है। 

कुछ दिनों से देखेंगे तो पाएँगे लगातार हमारे आस-पास ऐसी घटनाएँ घटित हो रही हैं जिसका प्रभाव हमारे भविष्य पर पड़ना लाज़मी है। ऐसे में एक लेखक होने के नाते इन घटनाओं का ज़िम्मेदारी से लेखा-जोखा लेना बहुत ज़रूरी है।

क्या उचित है क्या अनुचित है, देश में होने वाली इन घटनाओं का गहराई से आंकलन कीजिये और एक टिप्पणी प्रस्तुत कीजिये।

*आप अपनी पोस्ट में अपनी पसंद का हैशटैग भी लिख सकते हैं।
darshanblon1957

Darshan Blon

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