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धीरे धीरे मैं बदलने लगा हूं गहरी सांझ सा, ढ़लने ल

धीरे धीरे मैं बदलने लगा हूं 
गहरी सांझ सा, ढ़लने लगा हूं.. 
होने लगा है परिचय, मेरा... 
        खुद से ही!! 
एक नये व्यक्तित्व में दिखने.. 
        लगा -- हूं!! 
अब नहीं होते कोई गिले शिकवे 
         किसी -- से!! 
समझौतों के कलमें पढ़ने लगा हूं.!! 
अब नाराज भी नहीं होता..   किसी से!! 
खुद ही रूठने मन में लगा हूं!! 

अब ख्वाहिशें भी नहीं 
    तड़फाती -- मुझे!! 
हर हालात में शांती बरतने 
       लगा -- हूं!!  
हां, मैं धीरे - धीरे... बदलने.. 
        लगा -- हूं!! 💞
   #तेरे_लिए 💞

©shivaji kushwaha
  #udaasi