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बगैर तेरे दिल को आराम कहां यह न सोचा तुमने ही कभी

बगैर तेरे दिल को आराम कहां यह न सोचा तुमने ही कभी हर मोड़ पे गम सजा के इंतजार किया सच कहा मैंने

हमें आप ज़ख्म और देकर मुस्कुरा के दिल से नाता तोड़ गए और आंसू में बहा दिया गम को ये सच कहा मैंने

निगाह तेरी देखकर मिजाज़ परख लिया ख्वाब तेरा चुरा कर अब दिल ही तुझसे लगा लिया यह सच कहा मैंने

बेताब दिल मेरा किस मुकाम पे आया ये समझना पड़ेगा तुझे और आबरू इश्क की ही खो बैठे हैं सच कहा मैंने

बात दिल की कहनी थी कह दिया हमने जब अरमां तेरा जब पास मेरे आएगा वापस आ जाऊंगा ये सच कहा मैंने

 🙏🙏मेरी इक और नई गज़ल बेताब तमन्ना🙏🙏

©Prem Narayan Shrivastava
   #राहत