पंछी मंजिल यूँ ही नहीं मिलती मुसाफ़िरों को, दर-दर की ठोकरे खाना पड़ता है, पूछा जो चिड़िया से कि घोसला कैसे बनता है, वो बोली तिनका-तिनका उठाना पड़ता है| ©Kamal singh Gaur #पंछी