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kamalsinghgaur6444
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nairang ishq

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nairang ishq

कोई देखे मेरे चाँद को ये मुझको क़ुबूल नहीं, 
ज़मीं वाले इसलिए भी मेरे मक़बूल नहीं, 
माना मैं कोई रसूल नहीं, तो मैं कोई मक़तूल भी नहीं , 
मैं ध्रुव तारा हूँ मैं कोई बाज़ का फ़ूल नहीं।

©nairang ishq #Moon
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nairang ishq

Makar Sankranti Messages  


फसलों की कटाई का त्यौहार 

नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है। पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं। खेतों में गेहूं और धान की लहलहाती फसल किसानों की मेहनत का परिणाम होती है लेकिन यह सब ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से संभव होता है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को ’लोहड़ी’ के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति ’पोंगल’ के तौर पर मनाई जाती है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में ’खिचड़ी’ के नाम से मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर कहीं खिचड़ी बनाई जाती है तो कहीं दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाये जाते हैं।

©nairang ishq #MakarSankranti2021
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nairang ishq

Makar Sankranti Messages  
मकर संक्रांति का महत्व 

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण 

भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिये से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।
एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा।

©nairang ishq #MakarSankranti2021
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nairang ishq

मकर संक्रांति का महत्व 

धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टिकोण 

भारत में धार्मिक और सांस्कृतिक नजरिये से मकर संक्रांति का बड़ा ही महत्व है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति के दिन सूर्य देव अपने पुत्र शनि के घर जाते हैं। चूंकि शनि मकर व कुंभ राशि का स्वामी है। लिहाजा यह पर्व पिता-पुत्र के अनोखे मिलन से भी जुड़ा है।
एक अन्य कथा के अनुसार असुरों पर भगवान विष्णु की विजय के तौर पर भी मकर संक्रांति मनाई जाती है। बताया जाता है कि मकर संक्रांति के दिन ही भगवान विष्णु ने पृथ्वी लोक पर असुरों का संहार कर उनके सिरों को काटकर मंदरा पर्वत पर गाड़ दिया था। तभी से भगवान विष्णु की इस जीत को मकर संक्रांति पर्व के तौर पर मनाया जाने लगा। 

फसलों की कटाई का त्यौहार 

नई फसल और नई ऋतु के आगमन के तौर पर भी मकर संक्रांति धूमधाम से मनाई जाती है। पंजाब, यूपी, बिहार समेत तमिलनाडु में यह वक्त नई फसल काटने का होता है, इसलिए किसान मकर संक्रांति को आभार दिवस के रूप में मनाते हैं। खेतों में गेहूं और धान की लहलहाती फसल किसानों की मेहनत का परिणाम होती है लेकिन यह सब ईश्वर और प्रकृति के आशीर्वाद से संभव होता है। पंजाब और जम्मू-कश्मीर में मकर संक्रांति को ’लोहड़ी’ के नाम से मनाया जाता है। तमिलनाडु में मकर संक्रांति ’पोंगल’ के तौर पर मनाई जाती है, जबकि उत्तर प्रदेश और बिहार में ’खिचड़ी’ के नाम से मकर संक्रांति मनाई जाती है। मकर संक्रांति पर कहीं खिचड़ी बनाई जाती है तो कहीं दही चूड़ा और तिल के लड्डू बनाये जाते हैं। 

लौकिक महत्व 

ऐसी मान्यता है कि जब तक सूर्य पूर्व से दक्षिण की ओर चलता है, इस दौरान सूर्य की किरणों को खराब माना गया है, लेकिन जब सूर्य पूर्व से उत्तर की ओर गमन करने लगता है, तब उसकी किरणें सेहत और शांति को बढ़ाती हैं। इस वजह से साधु-संत और वे लोग जो आध्यात्मिक क्रियाओं से जुड़े हैं उन्हें शांति और सिद्धि प्राप्त होती है। अगर सरल शब्दों में कहा जाए तो पूर्व के कड़वे अनुभवों को भुलकर मनुष्य आगे की ओर बढ़ता है। स्वयं भगवान कृष्ण ने गीता में कहा है कि, उत्तरायण के 6 माह के शुभ काल में, जब सूर्य देव उत्तरायण होते हैं, तब पृथ्वी प्रकाशमय होती है, अत: इस प्रकाश में शरीर का त्याग करने से मनुष्य का पुनर्जन्म नहीं होता है और वह ब्रह्मा को प्राप्त होता है। महाभारत काल के दौरान भीष्म पितामह जिन्हें इच्छामृत्यु का वरदान प्राप्त था। उन्होंने भी मकर संक्रांति के दिन शरीर का त्याग किया था।

©nairang ishq #OneSeason

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*मकर संक्रांति पर्व पर विशेष*
आइए जानते हैं कि 2022 में मकर संक्रांति कब है व मकर संक्रांति 2022 की तारीख व मुहूर्त। हिंदू धर्म में मकर संक्रांति एक प्रमुख पर्व है। भारत के विभिन्न इलाकों में इस त्यौहार को स्थानीय मान्यताओं के अनुसार मनाया जाता है। हर वर्ष सामान्यत: मकर संक्रांति 14 जनवरी को मनाई जाती है। इस दिन सूर्य उत्तरायण होता है, जबकि उत्तरी गोलार्ध सूर्य की ओर मुड़ जाता है। ज्योतिष मान्यताओं के अनुसार इसी दिन सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है।
ज्यादातर हिंदू त्यौहारों की गणना चंद्रमा पर आधारित पंचांग के द्वारा की जाती है लेकिन मकर संक्रांति पर्व सूर्य पर आधारित पंचांग की गणना से मनाया जाता है। मकर संक्रांति से ही ऋतु में परिवर्तन होने लगता है। शरद ऋतु क्षीण होने लगती है और बसंत का आगमन शुरू हो जाता है। इसके फलस्वरूप दिन लंबे होने लगते हैं और रातें छोटी हो जाती है।
इस वर्ष सूर्य धनु राशि से मकर राशि मे १४ जनवरी २०२२ शुक्रवार को दोपहर १४:३० बजे प्रवेश कर रहे है।
*पुण्यकाल मुहूर्त* :
१४:२८ से १७:४५ तक
अवधि ३ घण्टे १७ मिनट
*महापुण्यकाल मुहूर्त* :
१४:२८ से १४:५२ तक
अवधि ० घण्टे २४ मिनट
*ज्योतिषाचार्य पं. मयंक भार्गव*
मो. ९७५४४४५३५५

©nairang ishq #letter

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nairang ishq

सवाब है,
या किसी जनम का हिसाब कोई चुका रहा हूँ, 
जो घर के आँगन में,
चिंटियों को मैं रोज़ आटा खिला रहा हूँ, 
वो मंज़िलें क्या,
ये रास्ते भी मुझी को ले कर भटक गए हैं, 
न चल रहा हूँ,न रुक रहा हूँ,
न जा रहा हूँ,न आ रहा हूँ |

©nairang ishq
  #HappyBirthdayDhoni
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nairang ishq

सवाब है,
या किसी जनम का हिसाब कोई चुका रहा हूँ, 
जो घर के आँगन में,
चिंटियों को मैं रोज़ आटा खिला रहा हूँ, 
वो मंज़िलें क्या,
ये रास्ते भी मुझी को ले कर भटक गए हैं, 
न चल रहा हूँ,न रुक रहा हूँ,
न जा रहा हूँ,न आ रहा हूँ |

©nairang ishq
  #HappyBirthdayDhoni
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nairang ishq

#RIPDilipKumar लोग अच्छे हैं बहुत दिल में उतर जाते हैं 

इक बुराई है तो बस ये है कि मर जाते हैं

©nairang ishq #RIPdilipkumar
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nairang ishq

પ્રિય પપ્પા हमें पढ़ाओ ना रिस्तों की कोई और किताब,
 हमने पढ़ रखी है झुर्रियां बाप के चेहरे की।

©nairang ishq #FathersDay
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nairang ishq

उसने जब मेरे तरफ़ प्यार से देखा होगा, 
मेरे बारे में बड़े गौर से सोचा होगा, 
सुबह को जिसने सजाई है हँसी होंटों पर, 
रात भर उसको किसी गम ने सताया होगा|

कर के वादा भी अगर आप नही आयेंगे, 
नाम बदनाम जमाने में वफ़ा का होगा|

 हंसके हम बात जो कर लेते है उनसे, 
खुर्शीद हाल अपना वो समझ लेते है अच्छा होगा|

©nairang ishq #love_at_first_sight
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