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पाश्चात्या संस्कृति न लूटा है इस कदर न वह पीप

पाश्चात्या  संस्कृति  न लूटा है इस  कदर
 न  वह पीपल का पेड़
 ना चौपाले दिखती है गांव में
न दिखता वह घर का आंगन
न आती है बच्चों के खेलने की आवाजें
 और ना ही रुक रहा है युवाओं का पलायन
 ना बहुत धोती ना वो कुर्ता
 ना वह मीठी बोली
 ना पशु रहे ना  वह गौरी गाय रही 
अब  सुनी लगती गांव की गलियां
 और पेड़ चौपाल ||


# कलम_शब्दों का सिलसिला || #Importance_of_old days
पाश्चात्या  संस्कृति  न लूटा है इस  कदर
 न  वह पीपल का पेड़
 ना चौपाले दिखती है गांव में
न दिखता वह घर का आंगन
न आती है बच्चों के खेलने की आवाजें
 और ना ही रुक रहा है युवाओं का पलायन
 ना बहुत धोती ना वो कुर्ता
 ना वह मीठी बोली
 ना पशु रहे ना  वह गौरी गाय रही 
अब  सुनी लगती गांव की गलियां
 और पेड़ चौपाल ||


# कलम_शब्दों का सिलसिला || #Importance_of_old days